करैर-अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर व्याख्यानमाला आयोजित।


करैरा,सामाजिक समरसता गतिविधि एवं लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर त्रिशताब्दी समारोह समिति के तत्वाधान एम के अकादमी करैरा में पुण्यश्लोका लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर के शौर्य, सेवा, शासन की प्रवीणता तथा उनके व्यक्तित्व व कृतित्व को स्मरण कर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खण्ड संघ चालक जगदीश सिंह चौहान व मुख्य वक्ता विभाग बौद्धिक प्रमुख संजय गौतम,जिला प्रचार प्रमुख युगल किशोर शर्मा,सह खण्ड कार्यवाह सुनील भार्गव के अतिरिक्त बड़ी संख्या में मातृ शक्ति उपस्थित रहीं। 
कार्यक्रम का प्रारंभ लोकमाता देवी अहिल्याबाई के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया ।
मुख्य वक्ता ने अपने उद्बोधन में कहा कि राष्ट्र तभी सशक्त होता है जब राष्ट्र निर्माण का कार्य सतत चलता रहता है। राष्ट्र निर्माण में लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर का जीवन सभी के लिए अनुकरणीय है। लोकमाता के कार्यों से संपूर्ण भारत को जोड़ने का एकात्मता का भाव प्रदर्शित होता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इसी भावना के साथ राष्ट्री एवं समाज के कार्य को निरंतर कर रहा है। 
  लोकमाता राजरानी के साथ-साथ राज योगिनी भी थी। उन्होंने समाज के गरीबों की मदद की। द्वादश ज्योतिर्लिंगों का जीणोद्धार कराकर सनातन संस्कृति की रक्षा की।
अहिल्याबाई ने राज्य को भगवान शिव को अर्पित कर दिया और स्वयं को केवल निमित्त माना। वे कहती थीं कर्ता भी शिव, कर्म भी शिव, क्रिया भी शिव और कर्मफल भी शिव। वे राज्य के आदेश पर अपने हस्ताक्षर नहीं करती थीं। केवल राजमुद्रा लगाती थीं जिस पर श्रीशंकर अंकित था। वे कुशल राजनीतिज्ञ थीं ।महाराज मल्हार राव होलकर की मृत्यु उपरांत अहिल्याबाई ने कुशल राजनीतिक सूझबूझ से राज्य को युद्ध के संकट में जाने से बचा लिया। अहिल्याबाई एक कुशल सैन्य संचालक भी थीं। वे तलवार, भाला और तीर कमान चलाने में निपुण थी। 
देवी अहिल्याबाई ने अपने शासनकाल में सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय के कथन को सिद्ध कर के बता दिया था।
पत्रकार राजेन्द्र गुप्ता मो नं 8435495303